नई दिल्ली:
एक हालिया वैज्ञानिक रिपोर्ट ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि प्लास्टिक के बारीक कण, यानी माइक्रोप्लास्टिक्स (Microplastics), अब इंसानों के शरीर के अंदर तक पहुंच चुके हैं। ये कण केवल बाहरी त्वचा या सांस तक सीमित नहीं हैं, बल्कि फेफड़ों, खून, किडनी, दिमाग और यहां तक कि प्रजनन अंगों में भी पाए जा चुके हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, माइक्रोप्लास्टिक कण महिलाओं के ओवरी फ्लूइड और पुरुषों के सीमेन में भी पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने इसे मानव प्रजनन प्रणाली और अगली पीढ़ियों के लिए गंभीर खतरा बताया है।
🔍 कहां-कहां पाया गया प्लास्टिक?
वैज्ञानिकों द्वारा जारी की गई स्टडी के अनुसार, प्लास्टिक के कण अब फेफड़े, लीवर, दिमाग, किडनी, ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम और हार्ट टिश्यू तक में मिल रहे हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह स्थिति पहले से कहीं ज्यादा गंभीर हो चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि 100 में से 13 मौतें अब दिल की बीमारियों के कारण हो रही हैं, और इसके पीछे माइक्रोप्लास्टिक भी एक बड़ा कारण बन सकता है।
🌬️ कैसे पहुंच रहा है शरीर में प्लास्टिक?
शोध में पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक शरीर में तीन प्रमुख रास्तों से प्रवेश कर रहा है:
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सांसों के जरिए – वायु प्रदूषण में मौजूद प्लास्टिक कण फेफड़ों तक पहुंचते हैं।
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खाने और पानी के जरिए – प्लास्टिक बोतलों, पैक्ड फूड, और कंटेनरों से ये कण हमारे भोजन में मिल जाते हैं।
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प्लास्टिक में खाना गर्म करने से – खासकर माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर का उपयोग गंभीर रूप से नुकसानदेह हो सकता है।
📊 चौंकाने वाले आंकड़े:
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हर इंसान साल में औसतन 250 ग्राम प्लास्टिक निगल रहा है।
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यानी हर हफ्ते आप एक क्रेडिट कार्ड जितना प्लास्टिक अपने शरीर में ले रहे हैं।
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सालाना करीब 10 से 40 मिलियन मीट्रिक टन माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण में छोड़ा जा रहा है।
⚠️ क्या दिख रहा है असर?
वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी इंसानों पर प्रत्यक्ष असर सीमित रूप से देखा गया है, लेकिन जिन जानवरों पर अध्ययन किया गया – जिनका DNA इंसानों से मिलता-जुलता है – उनमें गंभीर बदलाव देखे गए हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में इंसानों पर भी इसके घातक प्रभाव सामने आ सकते हैं।
✅ क्या है बचाव के उपाय?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कुछ बुनियादी उपाय सुझाए हैं जिससे इस खतरे को कम किया जा सकता है:
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प्लास्टिक की जगह कांच की बोतलों का इस्तेमाल करें
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प्लास्टिक कंटेनरों में खाना गर्म करने से बचें
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फूड पैकेजिंग से परहेज़ करें
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री-यूजेबल और ईको-फ्रेंडली प्रोडक्ट अपनाएं
📣 NewsX की विशेष रिपोर्ट:
इस रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि प्लास्टिक अब केवल पर्यावरण नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य और भावी पीढ़ी के लिए भी एक खतरनाक संकट बन चुका है। अगर अभी नहीं चेते, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं।
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✍️ रिपोर्टर: राजनिकांत पांडेय
📍 NewsX Digital Desk