⚖️ धारा 211 – झूठा आपराधिक आरोप लगाने पर सजा
विधान:
जो कोई भी किसी व्यक्ति के विरुद्ध किसी लोक सेवक के समक्ष झूठा आपराधिक आरोप लगाता है, यह जानते हुए कि वह व्यक्ति निर्दोष है और उसकी मंशा केवल उसे सज़ा दिलवाना है, तो उस पर धारा 211 के अंतर्गत कार्रवाई हो सकती है।
📜 धारा 211 का पूरा कानूनी भाषा में स्वरूप:
“जो कोई किसी व्यक्ति को अपराधी ठहराने के आशय से, किसी लोक सेवक को, किसी ऐसे अपराध के विषय में, जिसकी जानकारी देने का उसे विधि द्वारा अधिकार या अपेक्षा हो, कोई सूचना देगा या कोई कार्यवाही प्रारंभ करेगा, जो मिथ्या है, और जिसे वह मिथ्या जानता है, वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय होगा, और जुर्माने से भी दंडनीय होगा; और यदि वह अपराध ऐसा है जिसकी सजा मृत्यु या आजीवन कारावास है, तो वह आजीवन कारावास तक दंडनीय होगा, या दस वर्ष तक के कारावास से, और जुर्माने से भी।”
🧾 सरल शब्दों में समझें:
अगर कोई व्यक्ति:
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किसी अन्य व्यक्ति पर झूठा आपराधिक आरोप लगाता है,
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यह जानते हुए कि वह व्यक्ति निर्दोष है,
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और यह सब केवल उसे फँसाने या सज़ा दिलाने की नीयत से करता है,
तो उस व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 211 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।
🔨 सजा क्या है?
अपराध की गंभीरता | संभावित सजा |
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सामान्य झूठा आरोप | अधिकतम 7 साल तक की कठोर कैद और जुर्माना |
यदि झूठा आरोप ऐसा हो जिसका दंड मृत्यु या आजीवन कारावास हो | आजीवन कारावास या अधिकतम 10 वर्ष की कैद, और जुर्माना |
📌 उदाहरण:
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किसी महिला ने ब्रेकअप के बाद गुस्से में आकर अपने पूर्व प्रेमी पर रेप का झूठा आरोप लगाया।
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पुलिस जांच में साबित हुआ कि आरोपी निर्दोष है और महिला ने जानबूझकर गलत जानकारी दी।
ऐसी स्थिति में महिला पर IPC धारा 211 के तहत मामला दर्ज हो सकता है।
⚠️ महत्वपूर्ण बिंदु:
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धारा 211 तभी लागू होती है जब यह साबित हो जाए कि शिकायतकर्ता ने जानबूझकर झूठा आरोप लगाया।
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अगर आरोप गलत साबित हुआ लेकिन शिकायतकर्ता की नीयत साफ थी, तो यह धारा लागू नहीं होती।