संपादन: रजनीकांत पांडेय | रिपोर्टिंग टीम: न्यूज़ एक्स डिफेंस डेस्क
नई दिल्ली। भारत ने 2025 में वैश्विक हथियारों की दौड़ में एक बड़ी छलांग लगाते हुए खुद को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बना लिया है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की गोपनीय रिपोर्ट और सरकारी सूत्रों से मिले इनपुट के मुताबिक, भारत ने 2020 से 2024 की अवधि में वैश्विक हथियार आयात का 8.3 फीसदी हिस्सा हासिल किया है। इस सूची में भारत से आगे केवल युद्धग्रस्त यूक्रेन (8.8%) है।
रूस से घटती निर्भरता, पश्चिमी देशों से नई साझेदारी
रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक पहले भारत की रक्षा आपूर्ति का लगभग 72 फीसदी हिस्सा रूस से आता था, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर 36 फीसदी तक पहुंच गया है। भारत अब फ्रांस, अमेरिका और इज़राइल जैसे देशों की ओर तेजी से झुक रहा है।
फ्रांस से भारत ने 36 राफेल लड़ाकू विमान और छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद की है। अमेरिका से MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन, P-8I नौसेना निगरानी विमान, और एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम जैसे हथियार मिल रहे हैं। इज़राइल से रडार, ड्रोन तकनीक और स्पाइक एंटी-टैंक मिसाइलें आयात की जा रही हैं।
रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी
‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश अब केवल हथियार खरीदने वाला नहीं, बल्कि दुनिया के प्रमुख रक्षा निर्यातकों की कतार में खड़ा हो रहा है। 2023-24 में भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, जबकि इसी अवधि में भारत ने ₹21,000 करोड़ के रक्षा उत्पादों का निर्यात भी किया।
देश में HAL का “प्रचंड” अटैक हेलिकॉप्टर, K9 वज्र होवित्जर, पिनाका रॉकेट सिस्टम और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे उपकरणों का बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात फिलीपींस को किया जा चुका है, जबकि कई अन्य देशों से ऑर्डर प्रक्रिया में हैं।
114 नए लड़ाकू विमानों की तैयारी, आपात खरीद में ₹38,000 करोड़
रक्षा मंत्रालय ने 114 मल्टी-रोल फाइटर जेट्स की खरीद के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की है। इस टेंडर में अमेरिका का F-21, फ्रांस का राफेल-M, रूस का Su-57 और स्वीडन का ग्रिपेन-E शामिल हैं।
इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में आपातकालीन रक्षा खरीद को मंजूरी दी है। अनुमानित ₹38,000 करोड़ की इस खरीद में ड्रोन, एडवांस मिसाइल सिस्टम, और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर टेक्नोलॉजी शामिल हैं।
वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में भारत
भारत की रणनीति अब केवल हथियारों की खरीद तक सीमित नहीं है। वह तकनीकी ट्रांसफर, घरेलू निर्माण और वैश्विक निर्यात को साथ लेकर चल रहा है। इस नीति के तहत भारत न सिर्फ एक बड़ा बाज़ार, बल्कि भविष्य में एक सैन्य नवोन्मेष केंद्र बनकर उभरने की दिशा में बढ़ रहा है।
निष्कर्ष
भारत अब न केवल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बन गया है, बल्कि वह आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन और तकनीकी क्षमता के बल पर वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में उभर रहा है। रूस पर निर्भरता को कम करते हुए भारत ने पश्चिमी देशों के साथ सामरिक साझेदारी को बढ़ावा दिया है। वहीं ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत देश रक्षा निर्यात में भी नए आयाम स्थापित कर रहा है।